मास्क
मैं तो अपनी जान बचाने तक के लिए मास्क नहीं पहन पा रही हूँ.
(दम घुटता है
कम दिखता है
ना जाने मैं कैसी दिखती हूँ ?
मास्क जम के भी कहाँ टिकता है ?)
सच मैं तो अपनी जान बचाने तक के लिए मास्क नहीं पहन पा रही हूँ,
तुम सदियों से बुर्के और घूँघट में कैसे रह लेती हो?
तुम्हारी खुद की पसंद है तो समझ भी आता है,
गर नहीं,
तो
यह दस्तूर-ए-बंदिश कैसे सह लेती हो?
कैसे ? क्यों? कब तक?
---Nidhi Thakur (June 1, 2020)
मैं तो अपनी जान बचाने तक के लिए मास्क नहीं पहन पा रही हूँ.
(दम घुटता है
कम दिखता है
ना जाने मैं कैसी दिखती हूँ ?
मास्क जम के भी कहाँ टिकता है ?)
सच मैं तो अपनी जान बचाने तक के लिए मास्क नहीं पहन पा रही हूँ,
तुम सदियों से बुर्के और घूँघट में कैसे रह लेती हो?
तुम्हारी खुद की पसंद है तो समझ भी आता है,
गर नहीं,
तो
यह दस्तूर-ए-बंदिश कैसे सह लेती हो?
कैसे ? क्यों? कब तक?
---Nidhi Thakur (June 1, 2020)
English:
Mask:
I am not being able to wear a mask,
even to save my own life.
(I feel suffocated.
I see much less.
I don’t know how I look with it?
Plus, the mask doesn’t even fit well?)
Truly, I am not being able to wear a
mask, even to save my own life.
How have you been living in a Burqa
or a long veil for centuries?
If it is your choice, I still
understand.
But if not,
Then how do you bear with this tradition-of-shackles?
How? Why? Till When?
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